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सर्दियों की सुबह और नाश्ते में मटर कचौड़ी, क्या बात है! (Matar Kachori recipe in hindi ) - Tifola Blog

सर्दियों की सुबह और नाश्ते में मटर कचौड़ी, क्या बात है! (Matar Kachori recipe in hindi )

सर्दियों की सुबह और नाश्ते में मटर कचौड़ी, क्या बात है!  (Matar Kachori recipe in hindi )

टिफोला डेस्क 

Matar Kachori recipe in hindi  :  सर्दियों की सुबह हो और नाश्ते में गरमागरम मटर की कचौड़ी के साथ धनिया की चटनी और चाय  हो तो क्या बात है।  ये पढ़कर ही मुंह में पानी आ गया। सर्दी ने दस्तक दे दी है और बाजार में मटर भी बिकने लगी है। तो चलिए आज हम अपनी रसोई में बाजार जैसी मटर की फूली -फूली क्रिस्पी कचौड़ी बनाते हैं। कई लोगों की शिकायत होती है कि घर पर बाजार जैसी क्रिस्पी और फूली कचौड़ी नहीं बनती। बाजार जैसी कचौड़ी बनाना बहुत ही आसान है, बस कुछ ट्रिक्स का इस्तेमाल करना पड़ेगा। यदि छोटी -छोटी बातों का ध्यान रखकर कचौड़ी बनाते हैं तो बाजार जैसी ही कचौड़ी बनेगी। तो चलिए उस ट्रिक्स को जानते हैं।  

कचौड़ी का आटा तैयार करें 

 

सबसे पहले कचौड़ी के आटा गूंथते हैं। एक बर्तन में आटा लें और उसमे 4  टेबलस्पून घी या तेल जो आपके पास हो जरूर डालें। घी डालने से कचौड़ी क्रिस्पी बनती है। आटा न ज्यादा हार्ड हो और न बहुत सॉफ्ट । आटा गूंथने के बाद इसे एक गीले कपड़े से 20-30 मिनट ढककर रख दें। इससे आटा सेट हो जायेगा। 

भरावन के लिए क्या करें 

सबसे पहले हरे मटर को उबालकर या हल्का भूनकर पीस लें। पिसे हुए मटर  में अदरक, हींग, हरी मिर्च, धनिया की बारीक कटी हुई पट्टी, धनिया पाउडर, सौंफ, भुना जीरा और आमचूर पाउडर डालकर अच्छे से मिला लें।  स्टफिंग को ड्राई रखना है।  

भरते समय इस बात का रखें ध्यान 

बाजार जैसी कचौड़ी बनाना है तो फीलिंग भरते समय खास बात का ध्यान देने की जरूरत है। आटे की लोई को अपने हिसाब से लें और छोटी से पूरी बेल लें। अब भरावन सामग्री अंदाज से बीच में रखें। एक बात का खास ध्यान रखें  स्टफिंग ज्यादा न भरें वरना कचौड़ी फट सकती है। इसके बाद पूरी के  किनारों को अच्छे से पैक  करें ताकि कोई क्रैक न रहे। बेलते समय हल्के हाथ से बेलन चलाये। कचौरी को ज्यादा पतली न बेले। 

तेल के टेम्प्रेचर का रखें ध्यान

अब कचौड़ी तलने की बारी आती है।  इसके लिए गैस पर कड़ाही चढ़ाये और उसमे सरसो तेल डालकर गरम करें।  तेल के  तापमान का  ध्यान रखना है । तेल को ना तो बहुत गर्म करना है  और ना ही बहुत ठंडा। अगर तेल बहुत ज्यादा गर्म होगा तो कचौड़ी काली हो जाएगी और ठीक से फूलेगी नहीं। दूसरी तरफ अगर तेल  ठंडा होगा तो कचौड़ी तेल सोख लेगी। अगर तेल में कचौड़ी डालने के बाद धीरे-धीरे ऊपर आए और फूले तो तापमान सही है।

धीमी आंच पर तलें

कचौड़ी को धीमी आंच पर तलना है। तेज आंच पर कचौड़ी ऊपर से तो सुनहरी हो जाती है लेकिन अंदर कच्ची रह जाती है। धीमी आंच पर तलने से कचौड़ी एकसार पकती है और अच्छे से फूलती है।

 

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