यश्वी सिंह
इंसानों की बेवफाई की बहुत सी कहानियां आपने सुनी होगी, लेकिन क्या आपने किसी फ़ूड की बेवफाई की कहानी सुनी है? इसे पढ़ने के बाद अब आप सोच रहे होंगे कि भला फ़ूड कैसे बेवफाई कर सकता है। तो आपको बता दें ऐसा हो चुका है। एक बहुत ही फेमस फ़ूड अपनी बेवफाई की वजह से पूरी दुनिया में बदनाम हो चुका है और वो फेमस फ़ूड है पिज़्ज़ा। जी हाँ, वही पिज़्ज़ा जिसे आप बहुत चाव से खाते हैं। इसकी वेवफाई की कहानी पूरी दुनिया में फेमस है। तो चलिए जानते हैं पिज़्ज़ा ने किसके साथ वेवफाई की?
वर्तमान में पिज्जा लोगों का सबसे पसंदीदा फास्ट फूड है। ये ऐसा फ़ूड है जिसे हम हर जगह खाते हैं। घर पर, रेस्टोरेंट में, सड़क के किनारे। जब भी कुछ स्पेशल खाने का मन करता है तो दिमाग में पिज़्ज़ा का नाम आता है। अब तो यूथ और बच्चों की पार्टी का मेन फ़ूड पिज्जा बन गई है। पिज़्ज़ा की सबसे बड़ी खूबी ये है कि ये सबके हिसाब से उपलब्ध है। मीठा, नमकीन, तीखा, नॉनवेज, वेज सभी तरह का। जिसको जैसा पसंद हो वो बना सकता है या बाजार से मंगा सकता है। पिज्जा किस कदर लोगों को पसंद है आप इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि अकेले संयुक्त राज्य अमेरिका में हर साल करीब तीन बिलियन पिज्जा बेचे जाते हैं, औसतन प्रति व्यक्ति 46 स्लाइस।
दोस्तों, पिज्ज़ा की कहानी काफी दिलचस्प है।भले ही पिज्जा की गिनती मॉर्डन फ़ूड में होती है लेकिन लोग सदियों से किसी न किसी रूप में पिज्जा खाते आ रहे हैं। प्राचीन काल में लोग फ्लैटब्रेड के टुकड़ों पर नमकीन डालकर खाते थे, खासकर यात्रा के दौरान। यात्रा करने वालों के लिए ये एक इजी और टेस्टी फ़ूड हुआ करता था। रोम के फेमस Poet वर्जिल के महाकाव्य एनीड में भी पिज्जा का जिक्र है। उन्होंने लिखा है कि लैटियम पहुंचने के कुछ समय बाद, एनेस और उनका ग्रुप ke लोग पेड़ के नीचे बैठ गए । उन लोगों के पास खाने के लिए सिर्फ गेहूं का पतला पैनकेक था। कुछ लोग जंगल जंगल से मशरूम और जड़ी बूटी लेकर आये और उस पैनकेक पर लगाकर खा लिए । एनेस के बेटे एस्केनियस को ये बहुत पसंद आया था।
लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि आज का मॉर्डन पिज्जा कभी गरीबों का भोजन हुआ करता था? और ये बहुत ही ज्यादा सस्ता था, जिसके चलते गरीबों में बहुत लोकप्रिय था। कैसे, चलिए ये जानते हैं। 18वीं सदी के आखिर में नेपल्स में पिज्जा अस्तित्व में आया था। जैसा कि हम जानते हैं कि उस समय बॉर्बन राजाओं के अधीन, नेपल्स यूरोप के सबसे बड़े शहरों में से एक था । ये तेजी से बढ़ रहा था। विदेशी व्यापार और ग्रामीण इलाकों से किसानों के लगातार आने से यहाँ की आबादी तेजी से बढ़ रही थी।
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सन 1700 में यहाँ की आबादी दो लाख थी जो 1748 में बढ़कर तीन लाख 99 हजार हो गई। जैसे-जैसे शहरी अर्थव्यवस्था गति बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रही थी, इस शहर की आबादी की एक बड़ी संख्या गरीबी की तरफ जा रही थी । इनमें से जो सबसे गरीब थे वो लाज़ारोनी के नाम से जाने जाते थे, क्योंकि उनका रूप लाज़रस जैसा था। करीब पचास हजार लोग कुली, Courier या casual labourer के रूप में काम करते थे। इस काम से उन्हें बहुत थोड़े पैसे मिलते थे और इसी से अपना गुजारा करते थे। ये लोग काम की तलाश में हमेशा भागदौड़ करते रहते थे। इसलिए उन्हें सस्ते और आसानी से मिलने वाले खाने की जरूरत थी। पिज्जा उनकी इस जरूरत को पूरा करता था। उस समय पिज़्ज़ा दुकानों में नहीं, बल्कि बड़े-बड़े डिब्बे लेकर घूमने वाले दुकानदारों द्वारा सड़क किनारे बेचा जाता था, जिसे कस्टमर के बजट या भूख के हिसाब से काटा जाता था।
लेखक एलेक्जेंडर डुमास ने 1843 में अपनी लिखी किताब ले कोरिकोलो जो इंग्लिश में स्केचेस ऑफ़ नेपल्स के नाम से प्रकाशित हो चुकी है, में इसका जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि, दो लियार्ड, लियार्ड फ्रांसीसी सिक्का है, से दो मीट के टुकड़े खरीदे जा सकते है जो ब्रेकफास्ट के लिए काफी है लेकिन इतने ही पैसे से पूरे परिवार के लिए पिज़्ज़ा खरीदा जा सकता है।
उस दौर में जिस तरह वर्जिल के फ्लैटब्रेड सस्ते और आसानी से मिलते थे वैसे ही पिज़्ज़ा आसानी से मिलता था, जो स्वाद से भरपूर होते थे। जो पिज़्ज़ा सबसे ज़्यादा चलन में था और हाँ सबसे सस्ता मिलता था उसमे टॉपिंग में लहसुन, लार्ड और नमक के अलावा कुछ भी नहीं डाला जाता था। बाकी अन्य पिज्जा में कैसियोकावेलो यानी घोड़े के दूध से बना पनीर , सेसेनेली यानी श्वेत चारा या तुलसी से टॉपिंग की जाती थी। कुछ में टमाटर की टॉपिंग की जाती थी।
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आपको बता दें उस दौर में पिज़्ज़ा खाने वालों को हेय दृष्टि यानी नीची नजर से देखा जाता था। चूंकि इसकी कीमत बहुत कम थी तो गरीबों के बीच ये काफी फेमस था लेकिन अमीर उसे खाना अपनी तौहीन समझते थे। इतना ही नहीं लम्बे समय तक Food Writers भी पिज्जा को अच्छे डिश की कैटेगरी में नहीं रखते थे। आप ये भी कह सकते हैं कि Food Writers ने पिज़्ज़ा को तिरस्कृत कर रखा था, क्योंकि ये लाज़ारोनी मतलब गरीबों का भोजन था इसलिए उसे घृणा से देखा जाता था। Foreign visitors द्वारा इसे बदनाम किया जाता था। साल 1831 में, टेलीग्राफ के inventor (आविष्कारक) सैमुअल मोर्स ने तो पिज्जा को 'सबसे अधिक उबकाई पैदा करने वाले केक की प्रजाति के रूप में प्रस्तुत किया था.
इतना ही नहीं 19th century के आखिर में जब पहली कुकबुक पब्लिश हुई थी तब, उसमें भी पिज़्ज़ा को पूरी तरह नज़रअंदाज़ किया गया था। यहां तक कि नेपल्स के व्यंजनों को समर्पित लोगों ने भी इसका ज़िक्र करने से परहेज़ किया। इस फैक्ट के बावजूद कि लाज़ारोनी की कंडीशन में धीरे-धीरे सुधार ने पहले पिज़्ज़ा रेस्तराँ की शुरुआत को प्रेरित किया था। लेकिन इटली के एकीकरण के बाद सब बदल गया। साल 1889 में पिज़्ज़ा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण आया, जब नेपल्स की यात्रा के दौरान, राजा अम्बर्टो और रानी मार्गेरिटा ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर में परोसे जाने वाले complicated French dishes से ऊब गए थे। फिर जल्दबाजी में रानी के लिए कुछ लोकल लोगों को स्पेशल डिश तैयार करने के लिए बुलाया गया।
उन्हीं में से एक पिज्जाओलो राफेल एस्पोसिटो ने तीन तरह के पिज्जा बनाए . पहला पिज़्ज़ा लार्ड, कैसियोकावलो और तुलसी के साथ, दूसरा सेसेनेली के साथ और तीसरा मोज़ेरेला, टमाटर और तुलसी के साथ। वैसे तो रानी को तीनो डिश बहुत पसंद आयी, लेकिन इतालवी झंडे के रंगों को दर्शाते हुए टमाटर, मोज़ेरेला और तुलसी पिज़्ज़ा ने रानी का दिल जीत लिया। उनके रेस्पेक्ट में पिज़्ज़ा को मार्गेरिटा नाम दिया गया। इसने एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत दिया। रानी मार्गेरिटा की स्वीकृति की मुहर ने न केवल पिज़्ज़ा को लाज़ारोनी के लिए Suitable food बनाया बल्कि इसे Royal Family के खाने के लिए Suitable बना दिया, इतना ही नहीं पिज़्ज़ा को लोकल से National dishes में बदल दिया। इसने यह धारणा पेश की कि पिज़्ज़ा वास्तव में Italian food है - पास्ता और पोलेंटा की तरह।
फिर भी, पिज़्ज़ा को नेपल्स से बाहर निकलने में काफी वक़्त लगा। 1930 के दशक के बाद से पिज्जा दूसरी जगहों पर पंहुचा। काम की तलाश में नेपोलिटन उत्तर की ओर गए तो वे अपने साथ पिज्जा भी ले गए ।इसके बाद जब सेकेंड वर्ल्ड वॉर छिड़ा तो 1943 -44 में जब इटली के मित्र देशों के सैनिकों ने इटली पर हमला किया तो वे Campania में मिले पिज्जा से इतने इम्प्रेस हुए कि वे जहाँ भी गए, उन्होंने इसे माँगा। Campania दक्षिण इटली का दूसरा सब से ज़्यादा आबाद क्षेत्र है।
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द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ही पिज्जा का commercialization हुआ, जिसमें फ्रोजन पिज्जा का आगमन हुआ और डोमिनोज़ और पिज्जा हट जैसी पिज्जा चेन का उदय हुआ। इसने पिज्जा को पहले से कहीं अधिक easy बना दिया, जिससे global आरामदायक Food Items के ग्रुप में इसका स्थान सुरक्षित हो गया। 20th century के अंत और 21st century की शुरुआत में पिज्जा का Globalization भी हुआ, जिसमें दुनिया भर के देशों में पिज्जा का Variations दिखाई दिया । और अब तो पिज़्ज़ा अमीरों का फेवरेट फ़ूड बन गया है। अब ना तो सड़कों के किनारे बड़े -बड़े कंटेनर में पिज़्ज़ा मिल रहा है और ना ही गरीबों के लिए पिज़्ज़ा पकाया जा रहा है। इतना पढ़ने के बाद अब तो आप समझ ही गए होंगे कि पिज़्ज़ा ने कैसे गरीबों के साथ बेवफाई की। दरअसल वर्तमान समय में पिज्जा केवल एक फ़ूड नहीं है, यह एक Global symbols है, जिसे लाखों लोग पसंद करते हैं। आपको ये आर्टिकल कैसी लगी हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताइयेगा
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