यश्वी सिंह
एक पंथ दो काज! ये मुहावरा तो आप सभी ने जरूर सुना होगा। ये मुहावरा छठ पूजा पर बिल्कुल सटीक बैठता है. पौराणिक कहानियों के अनुसार सैकड़ों सालों से लोग अपने परिवार की अच्छी सेहत और उनकी तरक्की के लिए छठी मैया का व्रत करते आ रहे हैं. ये व्रत बहुत ही कठिन होता है, लेकिन महिलाएं आसानी से इसे कर लेती हैं। इस व्रत में 36 घंटे तक बिना पानी पिए रहना पड़ता है. दरअसल हमारे पूर्वज व्रत की महिमा को बहुत अच्छे से समझते थे। उन्हें पता था कि व्रत के बहुत फायदे हैं खासकर हेल्थ से जुड़े।
छठ व्रत में व्रती को पानी में डुबकी लगाना होता है। तो आपको बता दें पानी में डुबकी लगाने से हमारे बॉडी में एनर्जी और हीट का flow बढ़ जाता है. इससे न केवल बॉडी का इम्यून सिस्टम स्ट्रांग हो जाता है बल्कि बॉडी की प्रोडक्टिविटी में जबरदस्त बढ़ोत्तरी होता है. डुबकी के दौरान हमारी बॉडी सूरज की रोशनी से जो एनर्जी लेती है उसे हमारे ब्लड फ्लो के द्वारा absorbe कर लिया जाता है. इस पूरे प्रोसेस के दौरान White Blood Cells व की फंक्शनिंग में काफी सुधार होता है.
विशेषज्ञों का कहना है कि सूर्य से मिलने वाली ऊर्जा हमारी body glands को काफी हद तक प्रभावित करती हैं. इतना ही नहीं जैसे ही सर्दियों का मौसम शुरु होता है, सूर्य से मिलने वाले विटामिन डी के अब्जॉर्प्शन से ये प्रोसेस स्टार्ट हो जाती है. सूरज की किरणें, सूर्योदय और सूर्यास्त के समय अपने पीक पर होती हैं और जो लोग सूर्य भगवान की पूजा करते हैं उन्हें भरपूर मात्रा में विटामिन डी मिल जाता है. सूर्य की रोशनी को विटामिन डी का सबसे नेचुरल और इंस्टेंट सोर्स माना गया है . विशेषज्ञों के मुताबिक कुछ साल पहले मेडिकल फील्ड का नोबेल पुरस्कार एक जापानी साइंटिस्ट योशिनोरी ओहसूमी को दिया गया था. यह पुरस्कार उन्हें उनके रिसर्च प्रोजेक्ट के लिए दिया गया था, जिसमें उन्होंने औरतों पर अपना रिसर्च किया था.
इस रिसर्च में ये बात भी निकल कर सामने आई है कि उन्होंने ऑटोफैगी सिस्टम पर काम किया था. दरअसल ये एक तरह का सायकलिंग सिस्टम है जिसके जरिए हम जो कुछ खाते हैं वो हमारे डैमेज सेल्स को ठीक करता है और बॉडी को ज़रूरी प्रोटीन प्रोवाइड कराता है. और सबसे ख़ास बात ये है कि इस सब प्रक्रिया में सूर्य की रोशनी का अच्छा काफी पॉजिटिव असर बॉडी पर होता है.
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विशेषज्ञ तो ये भी मानते हैं कि बॉडी को जब पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी मिलता है तो बॉडी में जमा कैल्शियम एक्टिवेट हो जाता है और इससे शरीर की हड्डियों पर पॉजिटिव इफेक्ट होता है और इससे हड्डियां काफी मजबूत हो जाती हैं। महिलाओं के बारे में तो हम आप जानते ही हैं कि उनके ऊपर कितनी जिम्मेदारियां होती हैं। वो परिवार के सभी सदस्य का ध्यान रखती हैं, लेकिन खुद का बिलकुल नहीं रखती। इसलिए महिलाओं में कैल्शियम डेफेसिएन्सी और विटामिन डी की कमी पायी जाती है। ऐसे में छठ पूजा महिलाओं के लिए एक तोहफा है। ये महिलाओं को डायरेक्टली उनकी हेल्थ, इम्यून सिस्टम और ओवरऑल उनकी बॉडी को फायदा पहुंचाता है.
छठ पूजा के और भी फायदे हैं। ये सिर्फ व्रत करने वाली महिलाओं को ही नहीं फायदा पहुँचाती बल्कि अपने इससे आसपास के लोगों को भी फायदा पहुँचता है। छठ माँ की पूजा करते हुए चार दिनों तक खूब लोक गीत, भजन और आरती गाई जाती है. इससे आसपास रहने वालों को भी मानसिक शांति और internal peace फील होती है. इससे हमारे घरों का माहौल भी काफी positive हो जाता है. इसकी वजह से शरीर के अंदर अच्छे हार्मोन्स का flow बढ़ता है और Stress देने वाले हार्मोन्स घटते हैं।
छठ पूजा मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी जबरदस्त फायदेमंद होती है। पूजा-पाठ, व्रत के दौरान शांत जीवन शैली फॉलो करने से पैदा होने वाली सकारात्मक ऊर्जा अच्छे मानसिक स्वास्थ को प्रमोट करती है. नकारात्मक ऊर्जा शरीर से दूर होती हैं और क्रोध, कुंठा और जलन आदि से इंसान मुक्त होता है. सूर्य की किरणें डिप्रेशन तक को दूर करने वाली होती हैं. नदी, तालाब या घाट के किनारे सुबह और शाम टहलने से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
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विशेषज्ञों का कहना है कि नहाय-खाय के दिन व्रती चावल, चना दाल (बंगाल चना) और कद्दू (कद्दू) की सब्जी खाते हैं। और हम सभी जानते हैं की चना में हाई प्रोटीन पाया जाता है। कद्दू में औषधीय गुण होते हैं। ये एक अत्यंत स्वस्थ भोजन है। यह जटिल कार्बोहाइड्रेट, महत्वपूर्ण विटामिन और खनिज जैसे Folate and Iron और Anti Occident का भी स्रोत है. मेथियोनीन के अच्छे स्रोत के लिए अनाज या अनाज के साथ सेवन करने पर दालें सबसे अधिक पोषक तत्व देती हैं. यही वजह है कि, दाल का सेवन चावल के साथ किया जाता है.
दालें प्रोटीन का सबसे अच्छा स्रोत होती हैं, लेकिन दालों में पाया जाने वाला प्रोटीन शरीर में जाने के बाद तभी Absorbe हो पाता है, जब उन्हें अमीनो एसिड मिले और यह यह अमीनो एसिड बने चावल से ही मिल पाता है। चावल में पाया जाने वाला एमिनो एसिड दाल के प्रोटीन का उपचार करके शरीर को फायदा पहुंचाता है, इसीलिए दोनों को साथ में खाया जाता है।
कद्दू , व्रत करने वाले की बॉडी में सोडियम-पोटेशियम का बैलेंस बनाए रखने में हेल्प करता है. एक कद्दू में विटामिन A , B और C, कैल्शियम, फास्फोरस, लोहा, सोडियम, पोटेशियम, नियासिन, मैग्नीशियम और अन्य खनिजों के भी कुछ और अंश होते हैं. ये पार्ट विटामिन A से भरा हुआ है जो हड्डियों की ग्रोथ में मदद करता है, antibodies को बढ़ाता है और स्किन हेल्थ को बनाए रखता है. वहीं विटामिन C सर्दी और खांसी से बचाता है, क्योंकि उन्हें डूबते और उगते सूरज की पूजा के लिए घंटों पानी में रहना पड़ता है।
फिलहाल हमारे पूर्वज बहुत अच्छे से जानते थे कि प्रकृति के सानिध्य में रहने से और व्रत करने से क्या फायदा होता है। संभव हो इन्हीं हेल्थ बेनिफिट्स के चलते छठ का पर्व लंबे समय से मनाया जाता रहा हो, लेकिन ध्यान रहे अगर आप पहले से ही किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो आपको ये व्रत नहीं रखना चाहिए या डॉक्टर से सलाह लेकर ही व्रत रखना चाहिए।
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