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ख़ुशी और केक के अटूट रिश्ते की कहानी (History of cake) - Tifola Blog

ख़ुशी और केक के अटूट रिश्ते की कहानी (History of cake)

यश्वी सिंह 

 

ख़ुशी और मीठे का अटूट रिश्ता है। ख़ुशी मतलब मुंह मीठा करना। मीठा खाये बिना ख़ुशी के सेलिब्रेशन का मतलब नहीं हैं। कुछ सालों पहले तक  कोई लड्डू से मुंह मीठा कर अपनी ख़ुशी सेलिब्रेट करता है तो अन्य मिठाई से। लेकिन अब मिठाई की जगह किसी और ने ले ली है और वो है केक। अब तो कोई भी ख़ुशी हो केक के बिना सेलिब्रेट नहीं हो सकता।  पहले केक सिर्फ बर्थडे और  मैरिज एनिवर्सरी में केक काटा जाता था। लेकिन अब तो हर सेलिब्रेशन चाहे वो न्यू ईयर हो या क्रिसमस, एग्जाम पास होने की ख़ुशी हो या जॉब मिलने की ख़ुशी, सभी में  केक कम्पलसरी हो गया है। अब तो छोटी बड़ी हर ख़ुशी में केक अनिवार्य हो गया है। बिना केक के कोई भी ख़ुशी अधूरी है। सिर्फ एक केक का टुकड़ा ख़ुशी को बढ़ा देता है। अब केक हमारे जीवन में इतना महत्वपूर्ण हो चुका है तो चलिए केक के बारे में जानते हैं। जैसे केक बनाने की शुरुआत कब हुई ? सबसे पहले केक किसने बनाया? भारत में केक कब आया? ऐसे तमाम सवालों का जवाब ढूढ़ते हैं इस अर्टिकल में।  

 

ये तो  सभी जानते हैं कि केक भारत की नहीं बल्कि वेस्टर्न कंट्री की डिश है। खाद्य इतिहासकारों के अनुसार  केक बनाने का आईडिया fifteenth century में मिस्र  के लोगों को आया था। पहले के केक आज के केक से बहुत ही अलग थे। उस दौरान केक ब्रेड की तरह बनाये जाते थे, जिन्हें आटा , शहद और पानी जैसे  Simple Ingredients से बनाया जाता था। ये एक राउंड फ्लैट शेप में बनता था और इसे पत्थरों पर सेका जाता था।  ये केक बिना खमीर वाले होते थे।ये मॉर्डन केक की तरफ लाइट और फ्लपी नहीं होते थे। 

 

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मिस्र  के बाद ग्रीक्स चीज केक लेकर आए। हिस्टोरियन की माने तो  फ्रूट केक जिसे आज हम आए चाय के साथ खाते हैं, उसे बनाने का कांसेप्ट रोमन्स का था। Historians का मानना है कि रोमन्स ने ही केक में यीस्ट डालने की शुरुआत की थी। उसके बाद 16th century  में Italians ने कुछ नए experiment किए। उन्होंने केक के बैटर में Eggs डालने शुरू किए। इससे केक हलकी और  फ्लफी तो बनने लगे, लेकिन इसमें काफी समय लगता था। फिर केक में बेकिंग पाउडर और सोडा डालकर तैयार किया जाने लगा। ऐसा माना जाता है कि इस गोल समतल यानी  राउंड फ्लैट केक का Advanced Version असल में 1800 में आया।

 

फिलहाल केक का Simple definition देना मुश्किल है तो  'केक' वर्ड  की origin भी क्लियर नहीं है।  कुछ हिस्टोरियंस का मानना है कि यह वाइकिंग वर्ड  'काका' से लिया गया है।  काका वर्ड  का यूज़  ब्रेड जैसे केक के लिए किया जाता था। लगभग  दो हजार साल पहले रोमन और यूनानी लोग Parties में टोर्टा खाते थे।  ये विशेष रूप से ब्रेड जैसे केक होते थे।  टोर्टा से ही फ्रांसीसी 'टार्ट', जर्मन 'टोर्ट' और डच 'टार्ट' का जन्म हुआ।  

आपको बता दें 18th century के दौरान पहली केक रेसिपी ईजाद हुई, जो आज की केक की रेसिपी से काफी मिलती-जुलती थी। इसके बाद 19th century  के मध्य से सही मायनों में Modern Cake  अस्तित्व में आया।  केक को लाइट  बनाने के लिए यीस्ट की जगह बेकिंग सोडा और बेकिंग पाउडर का यूज़ किया गया, इसके बाद ब्रेड और केक के बीच का अंतर स्पष्ट हो गया।

 

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चूंकि 19th Century के अंत तक, चॉकलेट, शुगर, देशी और विदेशी फल जैसी चीजें काफी  Expensive थीं,  इसीलिए केक बेक करना लग्जरी (Luxury)  बात होती थी। सिर्फ उच्च वर्ग यानी हाई क्लास के लोग special Occasions या Celebrations के लिए केक खरीदते थे। लेकिन समय के साथ केक  आम लोगों की लाइफ का भी हिस्सा बनने लगा। मिडिल-क्लास लोग भी  Special Occasions पर केक बनाने या खरीदने लगे। 

 

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यदि हम इंडिया में केक के सफर की बात करें तो आपको बता दें इंडिया कई सालों तक एक European colonisation था। इसलिए भारत में केक को तो आना ही था। इंडिया में आने और रहने वाले Europeans की वजह से केक ने इंडिया में अपने पैर जमाने शुरू किए। आपको बता दें कि ब्रिटिश,  फ्रांसीसी पुर्तगाली और  डच लोगों ने इंडिया में बेक्ड गुड्स की शुरुआत की।

 

उस टाइम में ओवन में केक बनाना इतना भी आसान नहीं था, क्योंकि उस टाइम में ओवन बहुत महंगे हुआ करते थे।उस दौरान ओवन का साइज भी काफी बड़ा होता था, जिसे लकड़ियों को  जलाकर गर्म किया जाता था। 

 

केरल में सबसे पहले बना था केक 

 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इंडिया के केरल में सबसे पहले केक बनना शुरू हुआ था। साल 1883 में जब इंडिया में ब्रिटिशर्स का राज था, केरल के मालाबार तट पर स्थित खूबसूरत शहरों में से एक, थालास्सेरी के मम्बली बापू ने रॉयल बिस्किट फैक्ट्री की स्थापना की। बापू को बेकरी गुड्स बनाना आता था। उनकी फैक्ट्री में ब्रेड, बिस्कुट और बन बनता था। ये भारत की पहली बेकरी थी। जल्द ही बापू और उनकी बेकरी फेमस हो गई। बापू को ब्रेड और बिस्किट बनाना तो आता था लेकिन केक बनाना उन्हें नहीं आता था। फिर एक दिन बापू के पास एक ब्रिटिश प्लांटर एक रिच प्लम केक लेकर आया। इस केक को वो इंग्लैंड से लाया था। उसे मालूम था कि बापू ऐसा केक बना सकते है। इसलिए उसने बापू को केक बनाने का बेसिक प्रोसेस तो बताया ही इसके साथ ही कुछ सामग्रियों के बारे में भी बताया।

 

बापू केक बनाने के लिए तैयार हो गए।  उन्होंने इसके साथ कुछ नए एक्सपेरिमेंट किये।उन्होंने केक में कोको, Dates, Raisin के साथ इसमें एक लोकल ब्रू और दो Special Ingredients- Cashews और  Banana भी डाला। जब केक बनकर तैयार हुआ तो ब्रिटिश प्लांटर को बहुत पसंद आया, उसने तुरंत बापू को दर्जनों प्लम केक का ऑर्डर दे दिया।और फिर इस तरह से इंडिया में केक बेक होने का सफर शुरू हुआ।  

 

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ये सफर इतना भी आसान नहीं था। इंडिया में केक बेकिंग रातों-रात ही नहीं चलने लगा था, ये धीरे-धीरे होने वाली एक प्रक्रिया थी। लोगों ने बिना ओवन के केक बेक करने के Different Methods का पता लगाया। प्लम केक के बाद नए सिरे से Experiments किये गए।कई Ingredients को जोड़ा गया और कई Ingredients को हटाया गया और फिर इस तरह से इंडिया में केक बनने लगा। तो ये था केक का रोचक इतिहास। आपको ये आर्टिकल कैसा लगा हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर बताइयेगा।